वो एक लड़की जो मेरी ग़ज़ल हैं
वो एक लड़की जो खिलती कमल हैं
वो एक लड़की जो ताज महल हैं
वो एक लड़की तुम ही तो हो
वो उसकी गेसू काली घटाएं
वो उसकी पलकों से लहराती हवाएं
वो उसकी यादें मेरी वफायें
वो एक लड़की तुम ही तो हो
वो उसकी आँखें चमकते मोती
वो उसकी पलकें आँखों को छूती
वो उसके गाल सेहरा-ए-मोती
वो एक लड़की तुम ही तो हो
वो उसके लब गुलाब जैसे
वो उसका माथा खुली किताब जैसे
उसकी मुस्कान से गिरते फूल जैसे
वो एक लड़की तुम ही तो हो
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Tuesday, November 20, 2007
Friday, October 19, 2007
तुम दूर हो कर भी पास रहते हो
तुम दूर हो कर भी पास रहते हो
मेरे दिल मैं बसते हो मेरे साथ रहते हो
शब-ए-तन्हाई एक -२ गहरे फूल बनती है
खुशबू बन कर तुम मेरे आँगन मैं महकते हो
तुम्हारी याद कि हिदत से जब जलता हैं मेरा दिल
तब तुम प्यार का सावन बन कर बरस जाते हो
जब भी कभी वह सुरमई आँखें उठती हैं
मेरा दिल मचलता हैं और तुम साँसे बन जाते हो
शब-ए-हिज्र मैं चमकते माह-ओ-अंजुम
सब मंद पड़ते हैं जाना जब सामने तुम आते हो
तुम्हरे सर्द रवैये पर हाँ, जलता हैं मेरा दिल
क्यों खुद भी तड़पते हो और मुझको भी तड़पते हो
मेरे दिल मैं बसते हो मेरे साथ रहते हो
शब-ए-तन्हाई एक -२ गहरे फूल बनती है
खुशबू बन कर तुम मेरे आँगन मैं महकते हो
तुम्हारी याद कि हिदत से जब जलता हैं मेरा दिल
तब तुम प्यार का सावन बन कर बरस जाते हो
जब भी कभी वह सुरमई आँखें उठती हैं
मेरा दिल मचलता हैं और तुम साँसे बन जाते हो
शब-ए-हिज्र मैं चमकते माह-ओ-अंजुम
सब मंद पड़ते हैं जाना जब सामने तुम आते हो
तुम्हरे सर्द रवैये पर हाँ, जलता हैं मेरा दिल
क्यों खुद भी तड़पते हो और मुझको भी तड़पते हो
Sunday, September 23, 2007
प्यार छुपता नही छुपाने से.....
पूछ लो तुम भी इस ज़माने से,
प्यार छुपता नही छुपाने से,
पास आते हो, छुते हो, बात करते हो,
कभी मतलब से कभी बहाने से,
प्यार दिल में हैं, तो लाओ जबान पे,
आग बढती हैं ये बुझाने से,
तुम्हें न पाना शायद बेहतर हैं,
पा के फिर से तुम्हे गवाने से,
चलो एक दुआ तो अपनी पुरी हुई,
मिल लिए अपने एक दीवाने से,
रोये जाते हो, बस रोये जाते हो,
क्या होगा ये धन लुटाने से.
प्यार छुपता नही छुपाने से,
पास आते हो, छुते हो, बात करते हो,
कभी मतलब से कभी बहाने से,
प्यार दिल में हैं, तो लाओ जबान पे,
आग बढती हैं ये बुझाने से,
तुम्हें न पाना शायद बेहतर हैं,
पा के फिर से तुम्हे गवाने से,
चलो एक दुआ तो अपनी पुरी हुई,
मिल लिए अपने एक दीवाने से,
रोये जाते हो, बस रोये जाते हो,
क्या होगा ये धन लुटाने से.
Friday, September 14, 2007
दर्द उठता है, तड़पता है ये दिल
दर्द उठता है, तड़पता है ये दिल
काश ऐसा हो कि, एक बार वो जायें मिल
दूर हूँ उनसे, मिलना है मुश्किल
ख्याली चेहरा, अदाएँ करें झिलमिल
अब तो उदासियाँ भी, भाग जाती हैं
आपकी याद में, हँसे दिल खिल-खिल
दिल को खुश रहने का, मिल गया सलीका
वर्ना गुजरती थी जिंदगी, बेबस तिल -तिल
महज एक नाम को पढ़कर, जुड़ गया दिल
जिस्म जरुरी नहीं, जब रूह से रूह जाए मिल
उनके नाम कई, करें रोज बातें
नाम से उनके हो जता है रोशन मेरा दिल
Saturday, September 8, 2007
तन्हाइयो का जहर पीना कैसा लगता है कोई हम से पूछे
तन्हाइयो का जहर पीना कैसा लगता है
कोई हम से पूछे
किसी की यादो मै खोये रहना कैसा लगता है
कोई हम से पूछे
कभी अकेले मै अपने आप ही हस देना कैसा लगता है
कोई हम से पूछे
कभी तन्हा बैठे बिठाये खुद ही रोलेना कैसा लगता है
कोई हम से पूछे
किसी के इन्तजार की बेचैनी मै तड़पते रहना कैसा लगता है
कोई हम से पूछे
ये जान कर भी की आने वाला आयेगा नही
उस की राहोन मे पलके बिछाये बैठना कैसा लगता है
कोई हम से पूछे
नीन्द तो ऑखो से कोसो मील दूर है
ये सोच कर रातो को तारे गीनना कैसा लगता है
कोई हम से पूछे
क्या पता अगली सुबह "उन" का दीदार नसीब हो यह सोच कर खुदा से दुआ मांगते रहना
की अभी दिन का उजाला हो जाये कैसा लगता है
कोई हम से पूछे....!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!॰
कोई हम से पूछे
किसी की यादो मै खोये रहना कैसा लगता है
कोई हम से पूछे
कभी अकेले मै अपने आप ही हस देना कैसा लगता है
कोई हम से पूछे
कभी तन्हा बैठे बिठाये खुद ही रोलेना कैसा लगता है
कोई हम से पूछे
किसी के इन्तजार की बेचैनी मै तड़पते रहना कैसा लगता है
कोई हम से पूछे
ये जान कर भी की आने वाला आयेगा नही
उस की राहोन मे पलके बिछाये बैठना कैसा लगता है
कोई हम से पूछे
नीन्द तो ऑखो से कोसो मील दूर है
ये सोच कर रातो को तारे गीनना कैसा लगता है
कोई हम से पूछे
क्या पता अगली सुबह "उन" का दीदार नसीब हो यह सोच कर खुदा से दुआ मांगते रहना
की अभी दिन का उजाला हो जाये कैसा लगता है
कोई हम से पूछे....!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!॰
Thursday, September 6, 2007
ऐसी जगह पे आके बस गया हूँ दोस्तों
ऐसी जगह पे आके बस गया हूँ दोस्तों
बारिश का जहाँ कोई भी होता नहीं मौसम
पतझड़ हो या सर्दी हो या गर्मी का हो आलम
वर्षा की फुहारें हैं बस गिरती रहें हरदम
मिट्टी है यहाँ गीली, पानी भी गिरे चुप-चुप
ना नाव है काग़ज़ की, छप-छप ना सुनाई दे
वो सौंधी सी मिट्टी की खुशबू भी नहीं आती
वो भीगी लटों वाली, कमसिन ना दिखाई दे
इस शहर की बारिश का ना कोई भरोसा है
पल भर में चुभे सूरज, पल भर में दिखें बादल
क्या खेल है कुदरत का, ये कैसे नज़ारे हैं
सब कुछ है मगर फिर भी ना दिल में कोई हलचल
चेहरे ना दिखाई दें, छातों की बनें चादर
अपना ना दिखे कोई, सब लगते हैं बेगाने
लगता ही नहीं जैसे यह प्यार का मौसम है
शम्माँ हो बुझी गर तो, कैसे जलें परवाने
बारिश का जहाँ कोई भी होता नहीं मौसम
पतझड़ हो या सर्दी हो या गर्मी का हो आलम
वर्षा की फुहारें हैं बस गिरती रहें हरदम
मिट्टी है यहाँ गीली, पानी भी गिरे चुप-चुप
ना नाव है काग़ज़ की, छप-छप ना सुनाई दे
वो सौंधी सी मिट्टी की खुशबू भी नहीं आती
वो भीगी लटों वाली, कमसिन ना दिखाई दे
इस शहर की बारिश का ना कोई भरोसा है
पल भर में चुभे सूरज, पल भर में दिखें बादल
क्या खेल है कुदरत का, ये कैसे नज़ारे हैं
सब कुछ है मगर फिर भी ना दिल में कोई हलचल
चेहरे ना दिखाई दें, छातों की बनें चादर
अपना ना दिखे कोई, सब लगते हैं बेगाने
लगता ही नहीं जैसे यह प्यार का मौसम है
शम्माँ हो बुझी गर तो, कैसे जलें परवाने
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