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Tuesday, November 20, 2007

वो एक लड़की तुम ही तो हो

वो एक लड़की जो मेरी ग़ज़ल हैं
वो एक लड़की जो खिलती कमल हैं
वो एक लड़की जो ताज महल हैं
वो एक लड़की तुम ही तो हो


वो उसकी गेसू काली घटाएं
वो उसकी पलकों से लहराती हवाएं
वो उसकी यादें मेरी वफायें
वो एक लड़की तुम ही तो हो

वो उसकी आँखें चमकते मोती
वो उसकी पलकें आँखों को छूती
वो उसके गाल सेहरा-ए-मोती
वो एक लड़की तुम ही तो हो

वो उसके लब गुलाब जैसे
वो उसका माथा खुली किताब जैसे
उसकी मुस्कान से गिरते फूल जैसे
वो एक लड़की तुम ही तो हो