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Friday, October 19, 2007

तुम दूर हो कर भी पास रहते हो

तुम दूर हो कर भी पास रहते हो
मेरे दिल मैं बसते हो मेरे साथ रहते हो

शब--तन्हाई एक - गहरे फूल बनती है
खुशबू बन कर तुम मेरे आँगन मैं महकते हो

तुम्हारी याद कि हिदत से जब जलता हैं मेरा दिल
तब तुम प्यार का सावन बन कर बरस जाते हो

जब भी कभी वह सुरमई आँखें उठती हैं
मेरा दिल मचलता हैं और तुम साँसे बन जाते हो

शब--हिज्र मैं चमकते माह--अंजुम
सब मंद पड़ते हैं जाना जब सामने तुम आते हो

तुम्हरे सर्द रवैये पर हाँ, जलता हैं मेरा दिल
क्यों खुद भी तड़पते हो और मुझको भी तड़पते हो