ढाई अक्षरों की भाषा
जिन्दगी बन गई
ना तूने कुछ कहा
ना मैने कुछ सुना
चाँद भी चुपचाप देखता
सितारे भी टिमटिमाते रहे
आँखों की भाषा
एक दुसरे को पडते रहे
दूर खामोशी को
लफ्जों में समेटे रहे
अजीब मिलन था दो रूह का
हवाओं ने भी साथ दिया
खामोशी का दायरा ना तोड़ा
लफ्जो के कहे बिना
आँखों की भाषा ने जोड़ा
Most of things are compiled and collected from other sources except few articles
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