तुम दूर हो कर भी पास रहते हो
मेरे दिल मैं बसते हो मेरे साथ रहते हो
शब-ए-तन्हाई एक -२ गहरे फूल बनती है
खुशबू बन कर तुम मेरे आँगन मैं महकते हो
तुम्हारी याद कि हिदत से जब जलता हैं मेरा दिल
तब तुम प्यार का सावन बन कर बरस जाते हो
जब भी कभी वह सुरमई आँखें उठती हैं
मेरा दिल मचलता हैं और तुम साँसे बन जाते हो
शब-ए-हिज्र मैं चमकते माह-ओ-अंजुम
सब मंद पड़ते हैं जाना जब सामने तुम आते हो
तुम्हरे सर्द रवैये पर हाँ, जलता हैं मेरा दिल
क्यों खुद भी तड़पते हो और मुझको भी तड़पते हो
Most of things are compiled and collected from other sources except few articles
Friday, October 19, 2007
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